Monday, November 15, 2010

Poota Maata Kee Asees.. Raag Gujri

Sri Guru Granth Sahib Page: 496
Shabad Video:
Sung in Raag Gujri           Jai Taal (13 Beats)

Shabad AudioPoota Maata Kee Asees 
  
Shabad Translation in English:
Remembering Him, all sins are erased, and ones generations are saved. So meditate continually on Almighty. He has no end or limitation. O son, this is your mother's hope and prayer that you may never forget the Almighty, even for an instant, and keep remembering Him always. May the True Guru be kind to you, and may you love the company of the Saints. May the preservation of your honour by the Transcendent Lord be your clothes, and may the singing of His Praises be your food. So drink in forever the Ambrosial Nectar; may you live long, and may the meditative remembrance of the Lord give you infinite delight. May joy and pleasure be yours, may your hopes be fulfilled, and may you never be troubled by worries. Let this mind of yours be the bumble bee, and let the Lord's feet be the lotus flower. Says servant Nanak, attach your mind to them, and blossom forth like the song-bird, upon finding the rain-drop. 

Shabad Veyakheya in Punjabi:

Shabad Interpretation in Hindi:

मेरे बच्चे, तेरी माँ तुझे हमेशां यह आशीष देती है कि तुझ को एक पल मात्र भी हरि परमात्मा का विस्मरण न हो और तूं हमेशां इस जग के मल्लिक प्रभु का सिमरन करते रहो. जिस के सिमरन द्वारा हर मुश्किल आसन हो जाती है और समस्त वंश का ही कल्याण हो जाता है. ऐसे प्रभु, जिस का कोई अंत नहीं है, उस का तुम हर वक्त सिमरन करते रहो. मेरे बच्चे, मैं कामना करती हूँ कि सच्चे गुरु की दय्या तुम पर हमेशां रहे और संत जनों संग तेरी प्रीत बनी रहे. मेरे बच्चे, मेरी आशीष है कि परमेश्वर की किरपा ही तेरे वस्त्र हों जिस से तेरी इज़त बने और नित प्रभु कीर्तन ही तेरा भोजन हो. हरि सिमरन से अनन्त आनंद की प्राप्ती होती है, तुम ऐसे अमृत की कामना करो जिस से मानुष अमर हो जाता है. अगर तुम इस संसार की खुशी और उल्लास में प्रभु का स्मरण रखो तो कभी भी किसी चिंता का सामना नहीं करना पढ़ता. मेरे बच्चे, तेरा मन भँवर समान हो जिस के लिए हरि चरण ही कमल का फूल हो. दास नानक, अपना मन ऐसा हो जैसे चात्रिक को सिर्फ बारिश की बूँद से ही त्रिप्ती होती है.  

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